vyanjan kise kahate hain | व्यंजन की परिभाषा तथा भेद

प्रिय पाठकों नमस्कार ! आज के इस लेख में हम जानेंगे की व्यंजन किसे कहते हैं और व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं। हम जानते हैं कि, किसी भी भाषा को अच्छी तरह से समझने के लिए ज़रूरी है कि सबसे पहले उसके वर्णमाला को शुरुआत से समझा जाए। हिन्दी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण होते हैं, इनको दो भाग स्वर और व्यंजन में बाटा गया है। इसमें 11 स्वर और 33 व्यंजन, 4 संयुक्त व्यंजन, 2 द्विगुण व्यंजन, 1 अनुस्वार, 1 विसर्ग हैं, जिससे कुल 52 अक्षर बनते हैं। तो चलिए अब यह पोस्ट शुरू करते हैं और विस्तार से समझते हैं कि व्यंजन क्या है और यह कितने प्रकार के होते हैं तथा भाषा में व्यंजन का क्या महत्व है।

व्यंजन किसे कहते हैं?

स्वर की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण व्यंजन कहलाते है । प्रत्येक व्यंजन के उच्चारण में ‘अ’ मिला होता है | ‘अ’ के बिना व्यंजन का उच्चारण संभव नहीं है। व्यंजन वे ध्वनियाँ है जिनके उच्चारण में फेफड़ों से बाहर निकलने वाली हवा मुख – विवर अथवा स्वर यंत्र में कहीं न कहीं रुककर अवरोध सहित बाहर निकलती है। व्यंजन ध्वनि अवरोध के हटने पर ही उच्चारित होता है ।

व्यंजन स्वर (अ) की सहायता से बोले व लिखे जाते हैं । यदि ये स्वर की सहायता नहीं लेते है, तो वे शुद्ध व्यंजन कहलाते हैं  जैसे – क=क् ( शुद्ध व्यंजन) + अ । हिंदी में कुल व्यंजनों की संख्या 33 हैं, जिन्हें 4 वर्गों में बांटा गया है ।

व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं?

  • स्पर्श व्यंजन
  • अन्त:स्थ / आंतरिक व्यंजन
  • उष्म / तापीय व्यंजन
  • संयुक्त / यौगिक व्यंजन

व्यंजन के भेद –

हिंदी में व्यंजनों को 4 वर्गों में बाँटा गया है-

1.स्पर्श व्यंजन :- वे वर्ण जिनमें उच्चारण करते हुए मुख के किन्हीं दो भागों का स्पर्श करने से वायु – प्रवाह पूरी तरह से रोक दिया जाए स्पर्श व्यंजन कहलाते है। इनकी कुल संख्या 25 हैं, जिन्हें 5 वर्गों में बाँटा गया है। प्रत्येक वर्ग का नाम उसके पहले वर्ण के आधार पर होता है तथा ध्वनि के स्थान के आधार पर उस वर्ग की ध्वनि का नाम पड़ता है। स्पर्श व्यंजन के प्रत्येक वर्ग के पाँचवे वर्ण (ड़, ञ, ण, न, म ) को अनुनासिक कहते हैं ।

वर्गयुक्त व्यंजन-ये पांच वर्गों में विभाजित है तथा प्रत्येक वर्ग में पांच-पांच वर्ण है –

  • कक्षा ए – ए, बी, सी, डी, डी ।
  • कक्षा एफ – एफ, सी, जे, जे, जे।
  • ट वर्ग – ट, ठ, ड, ढ, ण।
  • त वर्ग – त, थ, द, ध, न ।
  • प वर्ग – प, फ, ब, भ, म ।

2. अन्त:स्थ व्यंजन :- वे वर्ण जिनके उच्चारण में वायु अन्दर से घुमड़कर या उच्चारण अंत:करण से निकलता है, उन्हें अन्तःस्थ व्यंजन कहते है इन्हें स्वर एवं व्यंजन के बीच स्थान प्राप्त है | इनकी संख्या 4 है – य् (तालव्य), (वत्स्य), ल् (वत्स्य), व् (दंतष्ठ) | य्, व् अर्द्ध स्वर के रूप में स्वीकृत हैं |

3. ऊष्म व्यंजन – जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय वायु मुख में किसी स्थान विशेष पर घर्षण / रगड़ खाकर निकले और ऊष्मा / गर्मी पैदा करें, उन्हें उष्म व्यंजन कहते हैं। इनके उच्चारण में श्वास की प्रबलता रहती है। इनकी संख्या चार है। जैसे – श् (तालव्य) ष् ( मूर्धन्य), स् (वत्स्य) ह् (कंठ्य ) ।

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4. संयुक्त व्यंजन – वे वर्ण जो दो व्यंजन के मेल से बनते हैं, उन्हें संयुक्त व्यंजन कहते है। संयुक्त व्यंजन में जो पहला व्यंजन होता है वो हमेशा स्वर रहित होता है और इसके विपरीत दूसरा व्यंजन हमेशा स्वर सहित होता है। इनकी भी संख्या 4 है।

जैसे:- ks ( k + s), tr ( t + r ), j ( j + y), shr ( sh+r )।

FAQ’s

1. संयुक्त व्यंजन किसे कहते हैं?

ऐसे वर्ण या अक्षर जो दो व्यंजनों के मिल कर बने हो ऐसे व्यंजन को संयुक्त व्यंजन कहा जाता हैं.

2. महाप्राण किसे कहते हैं?

जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण के समय वायु अधिक मात्रा में और अधिक वेग के साथ बाहर निकलती है, उन्हें महाप्राण व्यंजन कहा जाता है, जैसे खू घ् (क वर्ग से) छ् झू (च वर्ग से) ठ् द् ढ (ट वर्ग से) थ् ध् (त वर्ग से) फ् भ् । (प वर्ग से) श् ष् स् ह (व वर्ग से)

3. अल्प्राण किसे कहते हैं?

जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण के समय वायु कम और कमजोर होकर निकलती है, उन्हें अल्प्राण व्यंजन कहा जाता है, जैसे क् ग् ङ् (क वर्ग से) च् ज् ञ् (च वर्ग से) ट् ड् ण् (ट वर्ग से) त् द् न् (त वर्ग से) प् ब् म् (प वर्ग से) य् र् ल्व, (य वर्ग से)

4. व्यंजन कितने हैं?

क से लेकर ज्ञ तक के वर्ण व्यंजन होते है

5. स्पर्श व्यंजन कितने हैं?

स्पर्श व्यंजन 25 होते है

आज आपने सीखा

आशा करता हूँ की यह जानकरी आपको अच्छी लगी होगी और अब आप जान गए होंगे की व्यंजन किसे कहते है और व्यंजन की परिभाषा तथा व्यंजन के प्रकार के बारे में अच्छे से जान गए होंगे । अगर आपको इस पोस्ट से रिलेटेड कोई भी समस्या हो तो हमें कमेंट करके जरुर बताये हम आपकी मदद जरुर करेंगे ।

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