purn sankhya – पूर्ण संख्या, गणित में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जिसके बिना हम गणित की कल्पना भी नही कर सकते है। जिसे हम दैनिक जीवन में भी अनेक तरीकों से उपयोग करते हैं। पूर्ण संख्या गणितीय संख्या पद्धति का एक महत्वपूर्ण भाग है जिसकी मदद से हम संख्याओं को व्यक्त करते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इसको कई प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है। आज के इस लेख में, हम पूर्ण संख्या की परिभाषा, उदाहरण, और इसके महत्व एवं Purn Sankhya Kise Kahate Hain के बारे में यहाँ कुछ फार्मूला और उदाहरण एवं गुणों के बारे में विस्तार से समझेंगे।
पूर्ण संख्या किसे कहते है?
पूर्ण संख्या एक एसी संख्या होती है जिसमे 0 और सभी प्राकृतिक संख्याएं शामिल होती हैं अर्थात पूर्ण संख्याये 0 से श्रुर होती है और अंत तक जाती है । गणित में पूर्ण संख्याओं को W से प्रदर्शित किया जाता है ।
दुसरे सरल शब्दों में, शून्य से अनंत तक की सभी धनात्मक ( सकारात्मक) संख्याओं को पूर्ण संख्या कहा जाता है। पूर्ण संख्या सामान्यतः शून्य से शुरू होती है और अनंत की ओर बढ़ती रहती है । जैसे –
पूर्ण संख्या (Whole Number) W = 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10…… अनंत तक ।
पूर्ण संख्या की परिभाषा
0 से अनंत तक की सभी धनात्मक ( सकारात्मक ) प्राकृत संख्याओं को पूर्ण संख्या कहते है। अर्थात सभी धनात्मक प्राकृत संख्याएँ पूर्ण संख्या होती है। प्राकृत संख्याएँ शून्य के साथ मिलकर पूर्ण संख्याओं (Whole numbers) का एक संग्रह बनाती हैं। आमतौर पर हम कह सकते है, की सभी प्राकृत संख्याएँ, पूर्ण संख्याएँ भी हैं। लेकिन सभी पूर्ण संख्याएँ प्राकृत संख्याएँ नहीं हैं।
पूर्ण संख्या का गुण
पूर्ण संख्याएं वे संख्याएं होती हैं जो 0 से शुरू होती हैं और अनंत तक चलती हैं। पूर्ण संख्याये, प्राकृतिक संख्याओं (1, 2, 3, …) और 0 से मिलकर बनी होती हैं। पूर्ण संख्याओं के कुछ गुण इस प्रकार हैं –
- पूर्ण संख्याओं को आपस में जोड़ा, घटा, गुणा और भाग किया जा सकता है।
- पूर्ण संख्याओं को क्रमबद्ध किया जा सकता है।
- पूर्ण संख्याओं को सम और विषम में वर्गीकृत किया जा सकता है।
- दो पूर्ण संख्याओ को जोड़ने पर पूर्ण संख्या ही प्राप्त होती है।
- प्रत्येक प्राकृत संख्या पूर्ण संख्या होती है, लेकिन प्रत्येक पूर्ण संख्या प्राकृत संख्या नही होती है।
- जब एक पूरी संख्या को 0 से गुणा किया जाता है, तो परिणाम हमेशा 0 होता है।
- पूर्ण संख्याओं की योगात्मक पहचान 0 होती है।
- पूर्ण संख्याओं की गुणात्मक पहचान 1 होती है।
- पूर्ण संख्याए योग में साहचर्य नियम का पालन करती है।
- पूर्ण संख्याए गुणन साहचर्य नियम का भी पालन करती है।
- जब किसी पूर्ण संख्या को 1 से गुणा किया जाता है, तो उसका मान बदलता नही है।
पूर्ण संख्या और प्राकृत संख्या में अंतर
पूर्ण संख्या (Whole Numbers) | प्राकृत संख्या (Natural Numbers) |
पूर्ण संख्याओं में शून्य शामिल होता है। | जबकि प्राकृतिक संख्याओं में नहीं होता है। |
पूर्ण संख्याओं का समूह प्राकृतिक संख्याओं के समूह से बड़ा होता है। | प्राकृतिक संख्याओं का समूह पूर्ण संख्याओं के समूह से छोटा होता है। |
सभी पूर्ण संख्या प्राकृत संख्या नही होती है। | सभी प्राकृत संख्या पूर्ण संख्या होती है। |
यह संख्या शून्य से शुरू होती है । | जबकि प्राकृतिक संख्याये 1 से शुरू होती हैं । |
पूर्ण संख्याओं को W से प्रदर्शित किया जाता है । | प्राकृतिक संख्याओं को N से प्रदर्शित किया जाता है । । |
FAQ’s
1. क्या पूर्ण संख्याएँ दशमलव स्थान के होते हैं?
नहीं, पूर्ण संख्याएँ किसी भी दशमलव स्थान का मान नहीं रखती हैं।
2. सबसे बड़ी पूर्ण संख्या क्या है?
सामान्यतः प्रत्येक पूर्ण संख्या एक दुसरें से बड़ी होती हैं, अतः कोई भी पूर्ण संख्या सबसे बड़ी पूर्ण संख्या नहीं होती है, क्योंकि यह अनंत तक विधमान होती है।
3. सबसे छोटी पूर्ण संख्या क्या होती है?
पूर्ण संख्या मुख्यतः शून्य से शुरू होती है, इसलिए, सबसे छोटी पूर्ण संख्या 0 है।
4. क्या ऋणात्मक संख्याये पूर्ण संख्या हो सकती ?
नही ऋणात्मक संख्या कभी भी पूर्ण संख्या नहीं हो सकती ।
निष्कर्ष (Conclusion)
पूर्ण संख्याएं वे संख्याएं होती हैं जो 0 से शुरू होती हैं और अनंत तक चलती हैं। पूर्ण संख्याएं प्राकृतिक संख्याओं (1, 2, 3, …) और 0 से बनी होती हैं । पूर्ण संख्याओं का उपयोग गणित के कई क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे बीजगणित, ज्यामिति, और सांख्यिकी आदि। पूर्ण संख्याएं गणित का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और वे हमारे दैनिक जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं । आशा करता हूँ की यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और अब आप जान गए होंगे की पूर्ण संख्या किसे कहते हैं ।