Lokokti kise kahate hain | लोकोक्ति की परिभाषा

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लोकोक्ति ( Lokokti ) – प्रिय दोस्तों नमस्कार ! आज के इस लेख में आपका हार्दिक स्वागत है। इस पोस्ट में हम हिंदी व्याकरण के उस महत्पूर्ण भाग के बारे में चर्चा करेंगे जिसका प्रयोग आम बोलचाल में सभी करते है। आज हम जानेंगे की लोकोक्ति किसे कहते है, लोकोक्ति की परिभाषा तथा लोकोक्ति की विशेषताएं क्या क्या होती है ? अगर आप भी एक हिंदी मीडियम के छात्र है या फिर हिंदी से कोई डिग्री कर रहे हा तो आपको लोकोक्ति के बारे में जानना बहुत ही जरुरी है क्योंकि यह एग्जाम से रिलेटेड है और हमारी दैनिक लाइफ में भी इसका महत्वपूर्ण उपयोग होता है ।

लोकोक्ति किसे कहते हैं ?

Lokokti kise kahte hain – हिंदी साहित्य में प्रचलित वह वाक्यांश जो स्वयं में एक पूर्ण वाक्य होता है, लोकोक्ति कहलाता है । जैसे – अधजल गगरी, छलकत जाए । छोटे-मोटे वाक्यों में कई सारी बातें समाहित होती हैं और ये हमारे जीवन के निर्देशक भी हो सकती हैं। लोकोक्ति में यह दो गुण विद्दमान रहते है पहला तो लोकोक्ति वाक्य के रूप में प्रयोग हो सकती है तथा दूसरा गुण यह की लोकोक्ति के लिए एक तदनरूप सन्दर्भ की आवश्यकता होती है ।

हिंदी साहित्य में प्रयोग होने वाली लोकोक्ति (Lokokti) शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है पहला लोक और दूसरा उक्ति। हिंदी साहित्य में लोकोक्तियां सरल और संक्षिप्त एक पूर्ण वाक्य होते हैं जो किसी न किसी अनुभव, ज्ञान, या शिक्षा पर आधारित होते हैं। लोकोक्तियां पीढ़ी दर पीढ़ी मुख से मुख स्थान्तरित होती रहती हैं और समाज में हमेशा प्रचलित रहती हैं। लोकोक्तियाँ हमारे साहित्य का मूलभूत अंग हैं।  

लोकोक्ति की परिभाषा

लोकोक्ति की परिभाषा – लोकोक्तियाँ या ‘लोकोक्ति’ एक प्रकार की सामान्य पीढ़ी दर पीढ़ी से उत्पन्न और प्रचलित कहावतें या कथन होते हैं। ये कथन आमतौर पर जीवन के अनुभव, ज्ञान और अनुभवों के आधार पर बनते हैं। लोकोक्तियाँ अक्सर सत्य या जीवन के अध्यात्मिक सिद्धांतों को व्यक्त करती हैं और इनका उपयोग अक्सर भाषा को सुंदर और प्रभावशाली बनाने के लिए किया जाता हैं।

पीढ़ी दर पीढ़ी अथवा लोक मानस द्वारा गढ़ी गयी तथा लोक जीवन में प्रचलित एवं स्वीकृत वाक्य को लोकोक्ति कहते हैं। लोकोक्ति के अन्तर्गत केवल वे ही शब्द शक्तियाँ समाविष्ट की जाती हैं, जो किसी सत्य, भाव या अनुकूल सत्य को चमत्कार पूर्ण ढंग से प्रकट करती है। लोकोक्तियाँ हमारे समाज की भाषा हैं, जो हमारी संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनका उपयोग हमारे भाषा और साहित्य को रंगीन और रूचिकर बनाता हैं।

इसलिए, हमें लोकोक्तियों का सम्मान करना चाहिए और उनका उपयोग अपने जीवन में करना चाहिए। संस्कृत भाषा में कहावतों को भाषा का अलंकार मानकर इनको लोकोक्ति के नाम से भी जाना जाता रहा है। कहावतों के अन्दर नीतिपरक संकेत भी रहते हैं। आचार-विचार तथा आहार-विहार के सन्दर्भ में भी लोंकोक्तियाँ अनुभव और शिक्षा पर आधारित शाश्वत सत्य का प्रतिपादन करती हैं।

लोकोक्ति का अर्थ

‘लोकोक्ति’ का अर्थ – लोकोक्ति शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हैपहला लोक और दूसरा उक्ति जिसमे लोक का अर्थ है “जनता” या “समाज” और उक्ति का अर्थ है “कहावत” या “बात” होता है। जिससे लोकोक्ति का अर्थ है जनता या जन समाज द्वारा कही जाने वाली बातें या समाज में प्रचलित कहावतें ही लोकोक्ति कहलाती है। हिंदी साहित्य में लोकोक्ति का अर्थ है – ‘जनसमाज द्वारा प्रयोग में लाया जाने वाला कोई परम्परागत कथन’ । यह कथन एसा होता है जिसे लोग अपनी बात के समर्थन या बात को अधिक प्रभावशाली बनाने में प्रयोग करते है।

लोकोक्ति को कहावत,जनश्रुति आदि भी कहा जाता है । लोकोक्ति को कहावत भी कहा जाता है। कहावत शब्द संस्कृत के ‘कथावस्तु’ शब्द से विकसित या बना हुआ है। इससे यह ध्वनित होता है कि कहावत अथवा लोकोक्ति का सम्बन्ध किसी कथा अथवा कहानी में निहित किसी तथ्य या बात से रहता है।

लोकोक्ति की विशेषताएँ

  • संक्षिप्तता
  • स्वतः पूर्णता
  • सारगर्भिता
  • सरलता तथा सजीवता
  • वाच्यार्थत
  • सरल भाषा
  1. संक्षिप्तता – लोकोक्तियाँ संक्षिप्त होती हैं। यद्यपि ये संक्षिप्त होते हुए भी अपने आप में पूर्ण रहती हैं परन्तु किसी सत्य के आधार पर ये मात्र दृष्टान्त उपस्थित करती हैं। अत: इनका आकार बहुत छोटा रहता है।
  2. सरल भाषा – लोकोक्तियां सरल और सहज भाषा में कही जाती हैं ताकि सभी लोग इन्हें आसानी से समझ सकें।
  3. स्वतः पूर्णता – लोकोक्तियाँ किसी क्रिया या वाक्य पर आधारित न रहकर अपने आप में एक इकाई रहती है। अतः तथ्य, कथ्य और अर्थ की दृष्टि से वे अपने आप में पूर्ण होती है । उनको समझने के लिए किसी प्रसंग या अन्य दूसरे वाक्य की आवश्यकता नहीं पड़ती।
  4. सारगर्भिता– लोकोक्तियाँ किसी कहानी में निहित सत्य पर आधारित रहती है यह सत्य अनुभूत तथा स्वीकृत रहता है। अतः उसको अत्यन्त संक्षेप में सारगर्भित पदों के माध्यम से हिंदी साहित्य में प्रस्तुत किया जाता है।
  5. सरलता तथा सजीवता – लोकोक्तियाँ लोक जीवन से सम्बन्धित अनुभवों पर आधारित रहती है। अपनी स्पष्टता, मधुरता, सहजता तथा सरलता के कारण ये श्रोताओं को प्रभावित करके उनके द्वारा अपने को स्वीकृत करा लेती हैं। लोकोक्तियाँ वस्तुत: लोक मानस की अमूल्य निधि है। अतः लोकमानस की सहजता और सरलता इसमें कूट-कूट कर भरी होती है।
  6. वाच्यार्थत – लोकोक्तियाँ प्राय: वाच्यार्थ का ही बोध कराती हैं। इनमें शब्द शक्ति लाक्षणिकता – प्राय: नहीं रहती। ये अपने वाच्यार्थ द्वारा ही जो कुछ कहना इसके प्रतिकूल मुहावरों में लाक्षणिकता रहती है ।

लोकोक्ति की विशेषताएँ लिखिए

Lokokti ki visheshtaen – लोकोक्ति की प्रमुख विशेषता निम्नलिखित है –

  1. लोकोक्ति अपने आप में एक पूर्ण वाक्य होती है।
  2. जनता द्वारा इसका प्रयोग कथन की पुष्टि के लिए किया जाता है।
  3. यह विशेष संदर्भ में प्रयुक्त होती है और उसका विशेष अर्थ ही लिया जाता है अर्थात इनका एक विशेष अर्थ होता है।
  4. लोकोक्ति की उत्पत्ति ‘लोक’ में प्रचलित उक्ति या कहावतो से मानी जाती है ।
  5. हिंदी साहित्य में जनता द्वारा लोकोक्ति एक वाक्य के रूप में प्रयोग होती है ।

कुछ महत्वपूर्ण लोकोक्तियाँ (कहावतें) उनके अर्थ एवं वाक्यों में प्रयोग

 

1. अन्धा पीसे, कुत्ते खाएँ = मेहनत कोई करे और लाभ कोई उठाए ।

प्रयोग – आज न्याय तो कहीं रहा ही नहीं। भ्रष्टाचारी और चापलूस लोगों का बोलबाला है। स्थिति तो यह है कि अन्धा पीसे, कुत्ते खाएँ ।

2. अधजल गगरी, छलकत जाए = गुणहीन व्यक्ति अपने गुणों का अधिक प्रदर्शन करता है ।

प्रयोग- मोहन एक साधारण क्लर्क है। रिश्वत से उसने धन कमा लिया है, तो उसके दिमाग नहीं मिलते । सच है, अधजल गगरी, छलकत जाए ।

3. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता = बड़े कार्य अकेले व्यक्ति के बूते की बात नहीं होते ।

प्रयोग- मोहन अकेला क्रान्ति नहीं ला सकता। उसे जनता को साथ लेना होगा। अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता ।

4. अन्धेर नगरी चौपट राजा = जहाँ कोई व्यवस्था या न्याय नहीं हो ।

प्रयोग – प्रशासन की बात मत पूछो । वहाँ तो अन्धेर नगरी चौपट राजा की बात चरितार्थ हो रही है ।

5. अपनी गली में कुत्ता भी शेर = अपने घर पर कमजोर व्यक्ति भी स्वयं को ताकतवर समझता है।

प्रयोग – बलदेव अपने घर की छत पर खड़ा होकर रामप्रकाश को गालियाँ बक रहा था । रामप्रकाश ने कहा, अगर ताकत है तो बाहर निकल । अपनी गली में तो कुत्ता भी शेर होता है।

6. अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना राग = अपनी-अपनी बात को महत्व देना ।

प्रयोग – राजनैतिक दल अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना राग अलापते रहते हैं। उन्हें जनसाधारण की कोई चिन्ता नहीं ।

7. ऊँट के मुँह में जीरा = आवश्यकता से बहुत कम ।

प्रयोग- पाण्डे जी के लिए ये सात पूरियाँ तो ऊँट के मुँह में जीरा सिद्ध होंगी। –

8. एक अनार सौ बीमार = वस्तु कम, माँग अधिक ।

प्रयोग- मोहन ने पेड़े तो मँगवाए पाँच और खाने वाले दोस्त आ गए दस । यह तो एक अनार, सौ बीमार वाली कहावत हो गयी ।

9. जिसकी लाठी उसकी भैस – शक्तिशाली का ही बोलबाला है

प्रयोग – चौधरी जी के सामने कोई मुह नहीं खोलता । चाहे वह सही कहे है या गलत, क्योंकि जिसकी लाठी उसकी भैंस ।

10. जो गरजते है वो बरसते नहीं – डींग मरने वाले कुछ कर नहीं पाते

प्रयोग – तुम्हे उनकी धमकियों से डरने की जरुरत नहीं, क्योंकि जो गरजते अहि वो बरसते नहीं ।

11. जल्दी का काम शैतान का काम: – जल्दी में किया गया काम अक्सर गलत या अधूरा होता है।

प्रयोग – परीक्षा की तैयारी के लिए जल्दी-जल्दी पढ़ाई करने से अच्छे अंक नहीं मिल पाते हैं।

12. जो बोएगा वही काटेगा – हमारे कर्मों का फल हमें ही मिलता है।

प्रयोग – यदि हम दूसरों के साथ बुरा व्यवहार करेंगे, तो हमें भी बदले में बुराई ही मिलेगी।

13. मेहनत का फल मीठा होता है – मेहनत करने वालों को ज़रूर सफलता मिलती है।

प्रयोग – यदि आप अपनी पढ़ाई में मेहनत करेंगे, तो आपको ज़रूर अच्छे अंक मिलेंगे।

14. समय सोने का नहीं, जागने का है – हमें समय का सदुपयोग करना चाहिए और व्यर्थ में समय नहीं गंवाना चाहिए।

प्रयोग – यदि आप समय का सदुपयोग करेंगे, तो आप अपने लक्ष्यों को ज़रूर प्राप्त कर लेंगे।

15. स्वास्थ्य ही धन है – अच्छा स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है।

प्रयोग – हमें अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।

16. विद्या, धन से बड़ी है – ज्ञान धन से अधिक महत्वपूर्ण है।

प्रयोग – हमें शिक्षा प्राप्त करने पर ध्यान देना चाहिए, ताकि हम जीवन में सफल हो सकें।

17. माँ बाप का आशीर्वाद सब पर भारी – माँ-बाप का आशीर्वाद जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है।

प्रयोग – हमें हमेशा अपने माँ-बाप का सम्मान करना चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।

18. बड़ों का आदर करना चाहिए – हमें हमेशा अपने बड़ों का आदर करना चाहिए।

प्रयोग – हमें हमेशा अपने बड़ों की बात माननी चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए।

FAQ’s

1. लोकोक्ति कौन सी भाषा का शब्द है?

'लोकोक्ति' शब्द 'लोक + उक्ति' शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है- लोक में प्रचलित कथन'। संस्कृत में 'लोकोक्ति' अलंकार का भी एक भेद है।

2. लोकोक्तियां का दूसरा नाम क्या है?

लोकोक्तियों' को 'कहावतों' के नाम से भी जाना जाता है।

3. लोकोक्ति की विशेषताएं

लोकोक्ति की प्रमुख विशेषताएं निम्न है - संक्षिप्तता, स्वतः पूर्णता सारगर्भिता ।

4. लोकोक्ति का अर्थ क्या है ?

लोकोक्ति का अर्थ है – ‘जन समाज द्वारा प्रयोग में लाया जाने वाला कोई परम्परागत कथन’ ।

आज आपने सीखा

आशा है की यह पोस्ट आपको अच्छी लगी होगी और अब आप जान गए होंगे की लोकोक्ति किसे कहते है, लोकोक्ति की परिभाषा, लोकोक्ति का अर्थ lokokti kise kahate hain, proverbs in hindi  आदि । अगर आप एक हिंदी मीडियम के स्टूडेंट्स है तो हमारे इस ब्लॉग को सब्सक्राइब जरुर करे क्योंकि हम प्रतिदिन एसे ही एग्जाम से रिलेटेड मटेरियल इस ब्लॉग पर पब्लिश करते रहते है । अगर आपको इस पोस्ट को समझने में कोई परेशानी आ रही है तो हमें कमेंट करके जरुर बताएं हम आपकी मदद जरुर करेंगे । धन्यवाद

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