jalvayu kise kahate hain

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Climate in Hindi – प्रिय पाठकों नमस्कार ! आज के इस लेख में हम जानेंगे की जलवायु किसे कहते हैं, जलवायु क्या हैं और जलवायु की विशेषता एवं जलवायु का क्या महत्व होता हैं। जलवायु भौगोलिक अध्ययन का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसके बारे में हम आज जानेंगे । हम जानते हैं, की भौगोलिक वातावरण के समस्त तत्वों में जलवायु सर्वशक्तिमान है। तो चलिए अब यह पोस्ट शुरू करते हैं और विस्तार से समझते हैं कि जलवायु क्या है और जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक क्या क्या हैं । तथा भौगोलिक अध्ययन में जलवायु का क्या महत्व है। jalvayu kise kahate hain

जलवायु किसे कहते हैं ?

jalvayu kise kahate hain – किसी भूभाग पर लंबी अवधि के दौरान विभिन्न समयों के अंतर्गत विभिन्न मौसमों की औसत अवस्था उस भू-भाग की जलवायु कहलाती है अथवा किसी क्षेत्र में लंबे समय तक जो मौसम की स्थिति होती है, उसे उस स्थान की जलवायु कहते हैं। जलवायु से आशय एसी स्थति से है, जो किसी स्थान के वातावरण की दीर्घकालिक स्थिति को दर्शाती है।

जलवायु का सामान्य परिचय

किसी भी स्थान, देश अथवा प्रदेश के भौगोलिक अध्ययन में जलवायु का विशेष महत्त्व होता है। जलवायु के अध्ययन में तीन प्रमुख तत्त्वों (तापमान, वायुदाब एवं वर्षा के वितरण तथा प्रकृति) की जानकारी आवश्यक है। जलवायु के तत्त्व देश के निवासियों के रहन-सहन, व्यवसाय, क्रियाकलापों तथा कृषि को विशेष रूप से प्रभावित करते हैं। इस प्रकार भौगोलिक वातावरण के समस्त तत्त्वों में जलवायु सर्वशक्तिमान है।

भारत का अत्यधिक विस्तार, अंक्षाशीय विस्तार और विशिष्ट धरातलीय लक्षणों के कारण सम्भवतः विश्व के अनेक देशों की अपेक्षा भारत में जलवायु सम्बन्धी दशाओं में अनेक प्रकार की विषमता एवं विविधता पाई जाती है। ब्लैनफोर्ड के अनुसार “हम भारत की जलवायुओं के विषय में तो कह सकते हैं, जलवायु के विषय में नहीं क्योंकि स्वयं विश्व में भी भारत से अधिक जलवायवीय विषमताएं नहीं मिलती हैं।”

श्री माईसेन के अनुसार, “विश्व को समस्त जलवायुएं भारत में पाई जाती है।” भारत की जलवायु पर दो बाहरी कारकों का प्रभाव पड़ता है:

(i) उत्तर की ओर हिमालय की ऊंची हिमाच्छादित श्रेणियां, मध्य एशिया की ओर से आने वाली शीतल वायु से बचाकर इसको संशोधित महाद्वीपीय जलवायु का रूप देतो है एवं

(ii) दक्षिण की ओर हिन्द महासागर को निकटता इसको उष्ण मानसूनी जलवायु देती है जिसमें उष्ण कटिबन्धीय जलवायु की आदर्श दशाएं प्राप्त होती हैं। डॉ० स्टाम्प का कथन है कि “हम भारत को सदैव हो मुख्यतः उष्ण कटिबन्धीय देश मानते हैं।”

जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक

  • भौगोलिक स्थिति
  • हिमालय पर्वत की स्थिति
  • सागरों से घिरा होना
  • वायु की दिशाएं
  • समुद्री हवाएं
  • ऊपरी वायुमण्डल में चलने वाली जैट स्ट्रीम पवनें ।

1. भौगोलिक स्थिति – भारत एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक विशाल देश हैं। इसका विस्तार 8° 4′ उत्तरी अंक्षाश से 37°6° उत्तरी अंक्षाश तथा 68°7′ मिनट पूर्वी देशान्तर से 97°25 पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। कर्क रेखा इसके मध्य से गुजरती है जो जलवायु के दृष्टिकोण से भारत को दो भागों में विभाजित करती है।

  1. उत्तरी भारत या महाद्वीपीय भारत,
  2. दक्षिणी भारत या उष्ण कटिबन्धीय भारत।

इसके अलावा भूमध्य रेखा के निकट होने के कारण भी भारत की जलवायु प्रभावित होती है।

2. हिमालय पर्वत की स्थिति – भारत के उत्तर में पूर्व से पश्चिम में धनुषाकार रूप में पर्वत फैला हुआ है। यह विशाल हिमालय पर्वत शीत ऋतु में मध्य एशिया से आने वालो अति ठण्डी हवाओं को रोक कर भारत को जलवायु को अत्यधिक शीतल होने से बचाता है। इसी प्रकार दक्षिणी पश्चिमी मानसूनों को रोककर वर्षा करने पर बाध्य करता है।

3. सागरों से घिरा होना – भारतीय प्रायद्वीप के पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिन्द महासाग स्थित है। ग्रीष्म ऋतु में उत्तरी पश्चिमी भारत का मैदानो भाग अत्यधिक गर्म हो जाता है। अतः वहां निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाय है जबकि शीत ऋतु में इसके विपरीत अवस्था होती है। यही पश्चिमी भारत उच्च वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है। समुद्र से घिरे होने के कारण दक्षिणी भारत के तापमान में भारी अन्तर नहीं आता है। समुद्र से चलने वाली हवाएं यहां के तापमान को समप्राय रखती हैं।

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4. वायु की दिशाएं- शीत ऋतु में के उत्तरी भाग में उच्च वायुदाब क्षेत्र बन जाने के कारण तथा समुद्री क्षेत्र में निम्न वायुदा स्थापित होने पर हवाएं स्थल से जल को तरफ चलती हैं जिससे मौसम शुष्क एवं ठण्डा हो जाता है। ग्रीष्म ऋतु में स्थलीय भाग निम्न वायुदाब क्षेत्र बनने पर हवाएं समुद्र से स्थल की तरफ चलती हैं जिससे मौसम में नमी आ जाती है एवं मौसम सुहाना हो जा है तथा धरातलीय भाग पर वर्षा होती है।

 5. समुद्री हवाएं- भारत वैसे तो व्यापारिक पवनों के प्रवाह क्षेत्र में आता है किन्तु यहां की जलवायु पर समुद्र से चलने वाली हवाओं (मानसूनी पवन) का व्यापक प्रभाव देखा गया है। ये पवनें हमारे देश में ग्रीष्म ऋतु में समुद्र से स्थल की ओर चलती है, ये नमी से युक्त होती हैं तथा भारत में वर्षा करती हैं।

6. ऊपरी वायुमण्डल में चलने वाली जेट स्ट्रीम पवनें- ऊपरी क्षोभमण्डल में 90° देशान्तर से 80° देशान्तर के मध्य वर धाराओं में ” जेटस्ट्रीम” पवनें प्रवाहित होती हैं। इन जेट स्ट्रीम पवनों का भी भारत की जलवायु दशाओं के निर्धारण में महत्त्वपूर्ण हाथ होता है । इन जेट स्ट्रीम पवनों की प्रकृति पर ही ग्रीष्मकालीन मानसून निर्भर करता है। इस प्रकार भारत में दक्षिणी पश्चिमी मानसून अनियमितता के पीछे जेट स्ट्रीम पवनों का प्रमुख हाथ होता है।

भारतीय जलवायु की व्याख्या

भारत की जलवायु पर भूमध्य रेखा को निकटता, कर्क रेखा के मध्य से निकलने, कुछ भागों में समुद्र तल से काफ़ी ऊँचे होने तथा समुद्र के तीन ओर से देश को घेरे रहने का भी प्रभाव पड़ता है। इन सब कारणों के परिणामस्वरूप देश के विभिन्न भौतिक विभागों में तापमान में बड़ा अन्तर पाया जाता है। राजस्थान के बाड़मेर में ग्रीष्मकाल का तापमान 50″ तक पहुंच जाता है जबकि उसी दिन कश्मीर का तापमान 0° रहता है।

थार मरुस्थल में वार्षिक वर्षा का औसत 25 सें०मी० से भी कम है जबकि मेघालय में 1080 सें०मी० वर्षा होती है। हिमालय के दक्षिणी ढालों पर सापेक्ष आर्द्रता 100% तथा शीतकाल में शून्य रहती है। शीतकाल में सम्पूर्ण देश आमतौर पर ‘शुष्क रहता है तो कोरोमण्डल तट पर व्यापक रूप से वर्षा होती है।

शीतकाल में उत्तरी भारत में कड़ाके को सर्दी पड़ती है उसी समय समुद्र तटीय भागों में जलवायु सम रहती है। ये जलवायु में विभिन्नताएं स्थानीय परिस्थितियों के कारण होती हैं।

FAQ’s

1. jalvayu kise kahate hain

किसी क्षेत्र में लंबे समय तक जो मौसम की स्थिति होती है, उसे उस स्थान की जलवायु कहते हैं।

2. जलवायु क्या है ?

किसी भूभाग पर लंबी अवधि के दौरान विभिन्न समयों के अंतर्गत विभिन्न मौसमों की औसत अवस्था उस भू-भाग की जलवायु कहलाती है।

निष्कर्ष –

आशा करता हूं कि यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और अब आप जान गए होंगे कि जलवायु किसे कहते हैं, jalvayu kise kahate hain जलवायु क्या हैं और जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक एवं तत्व तथा जलवायु का महत्व क्या हैं। अगर आपको इस पोस्ट से रिलेटेड कोई समस्या हो या कोई शब्द समझ में नहीं आया हो तो हमे कमेंट करके जरूर बताएं हम आपकी मदद जरूर करेंगे। एसी ही एजुकेशन से भरी जानकारी जानने के लिए हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें। धन्यवाद

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