prabandh kya hai – प्रबंध की प्रकृति एवं कार्य

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प्रिय पाठकों नमस्कार ! आज के इस लेख में हम जानेंगे की प्रबंध क्या हैं और प्रबंध की विशेषता एवं प्रबंध के कार्य एवं इसका क्या महत्व होता हैं। प्रबंध व्यवसाय अध्ययन का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसके बारे में हम आज जानेंगे । हम जानते हैं कि, प्रबंध से आशय दूसरों के कार्य करने की कला से है। तो चलिए अब यह पोस्ट शुरू करते हैं और विस्तार से समझते हैं कि प्रबंध क्या है prabandh kya hai और इसका अर्थ एवं विशेषता तथा कार्य क्या क्या होते हैं । तथा व्यावसायिक संगठनों में प्रबंध का क्या महत्व है।

प्रबंध क्या है?

प्रबंध वह प्रमुख शक्ति है जो उत्पादन हेतु आवश्यक सभी साधनों यथा मानव, मशीन, मुद्रा, माल, मैथड ( पांच एम्स) में उचित एवं आवश्यक समन्वय स्थापित कर उसका एकीकरण करता है प्रबंध प्रशासन द्वारा निर्धारित नितियों को क्रियान्वित करता है । यह व्यवसाय का मस्तिस्क कहलाता है मानव शरीर के लिए मष्तिस्क का जितना महत्त्व है उतना ही उद्धोग एवं व्यवसाय में “प्रबंध” का है।

प्रबंध से आशय – 

सामान्यतः प्रबंध से आशय दूसरों से कार्य करने की कला से है, प्रबंध के अंतर्गत इस बात को ध्यान में रखा जाता है कि उपक्रम में कर्मचारियों द्वारा अच्छे से अच्छा कार्य कैसे कराया जाए ताकि कम समय में कम लागत पर अधिकतम लाभ व लक्ष्य की प्राप्ति की जा सके ।

प्रबंध की परिभाषा

” हैरल्ड कूनटज एवं हींज ” के अनुसार –

प्रबंध एक ऐसा पर्यावरण तैयार करने एवं उसे बनाये रखने कि प्रक्रिया है जिससे लोग समूह में कार्य करते हुए चुनिन्दा लक्ष्यों को प्राप्त करते है

” क्रीटनर ” के अनुसार –

प्रबंध परिवर्तनशील पर्यावरण में सीमित साधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करते हुए संगठन के उद्देश्यों को प्रभावी ढंग से प्राप्त करने, के लिए दूसरों से मिलकर एवं उनके माध्यम से कार्य करने कि प्रक्रिया है।

प्रबंध के कार्य

  •  नियोजन
  • संगठन
  • नियुक्ति
  • निर्देशन
  •  नियंत्रण

1. नियोजन – यह पहले से तय करता है कि क्या करना है, किस प्रकार से तथा किसको करना है इसका अर्थ है उद्देश्यों को पहले से ही निश्चित करना, दक्षता एवं प्रभावी ढंग से प्राप्त करने के लिए मार्ग निर्धारित करना ।

2. संगठन – यह निर्धारित योजना के क्रियान्वयन के लिए कार्य सौपने, कार्यों को समूहों में बांटने, अधिकार निश्चित करने एवं संसाधनों के आबंटन के कार्य का प्रबंधन करता है |

3. नियुक्ति – सरल शब्दों में इसका अर्थ है कि सही कार्य के लिए उचित व्यक्ति को ढूढना । प्रबंध का एक महत्वपूर्ण पहलू संगठन के उददेश्यों कि प्राप्ति के लिए योग्यता वाले सेही व्यक्ति को सही स्थान व सही समय पर उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना है ।

4. निर्देशन – इसका कार्य कर्मचारियों को नेतृत्व प्रदान करना, प्रभावित करना एवं करना एवं अभिप्रेरित करना है जिससे कि वह सुपुर्द कार्य को पूरा कर सके साथ ही उस कार्य हेतु कर्मचारियों को अभिप्रेरित करना भी है।

5. नियंत्रण – नियंत्रण को प्रबंध के कार्य के उस रूप में परिभाषित किया जाता है जिससे वह संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त कराने के लिए संगठन कार्य के निष्पादन को निर्देशित करता है। यह कार्य निष्पादन को मापता है, लक्ष्यों से मिलान करता है और विचलन कि स्थिति होने पर करता है| आवश्यक सुधारात्मक कार्यवाही करता है।

प्रबंध का महत्त्व

अब तक हम जान चुके है कि प्रबंध एक सार्वभौमिक क्रिया है जो किसी भी संगठन का एक अभिन्न अंग है अब हम ये जानेंगे कि प्रबंध इतना महत्वपूर्ण क्यों है –

  • प्रबंध सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त कराने में सहायक होता है
  • प्रबंध क्षमता में वृद्धि करता है
  • प्रबन्ध गतिशील संगठन का निर्माण करता
  • प्रबंध व्यक्तिगत उद्देश्यों कि प्राप्ति में सहायक होता है
  • प्रबन्ध समाज के विकाश में सहायक होता है।

 

1. प्रबंध सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त कराने में सहायक होता है –

यह संगठन के कुल उद्देश्यों को प्राप्त कराने के लिए व्यक्तिगत प्रयत्न को समान दिशा देता है।

2.प्रबंध क्षमता में वृद्धि करता है –

यह उपक्रम के श्रेष्ठ के श्रेष्ठ नियोजन, संगठन, निर्देशन, नियुक्तिकरण एवं नियंत्रण के माध्यम से लागत को कम करना एवं उत्पादकता को बढ़ाना है |

3. प्रबन्ध गतिशील संगठन का निर्माण रता है-

प्रत्तेक संगठन का प्रबंध निरंतर बदल रहे पर्यावरण के अंतर्गत करना होता है प्रबंध लोगो को परिवर्तनों को अपनाने में सहायता प्रदान करता है जिससे कि संगठन अपनी प्रतियोगी श्रेष्ठता को बनाये रखने में सफल हो ।

4. प्रबंध व्यक्तिगत उद्देश्यों कि प्राप्ति में सहायक होता है –

प्रबंध अपनी टीम को इस प्रकार से प्रोत्साहित करता है एवं उसका नेतृत्व करता है कि प्रत्तेक सदस्य संगठन के कुल उद्देश्यों में योगदान देते हुए व्यक्तिगत उद्देश्यों को प्राप्त करता है।

5. प्रबंध समाज के विकास में मदद करता है – 

संगठन बहुउद्देशीय होता है जो इसके विभिन्न घटकों के उद्देश्यों को पूरा करता यह श्रेष्ठ गुणवत्ता वाली वस्तुओं एवं सेवाओं को उपलब्ध कराने, रोजगार के अवसर पैदा करने, लोगो के भले के लिए नयी तकनीको को अपनाने वृद्धि एवं विकाश के रस्ते पर चलने में सहायक होता है |

प्रबंध की प्रकृति

प्रबंध इतना ही पुराना है जितना की सभ्यतां । यद्यपि आधुनिक संगठन का उदगम नयो ही है लेकिन संगठित कार्य तो सभ्यता के प्राचीन समय से ही होते रहे हैं। वास्तव में संगठन को विशिष्ट लक्षण माना जा सकता है, जो सभ्य समाज को असभ्य समाज से अलग करता है।

  • प्रबंध कला के रूप में
  •  प्रबंध विज्ञान के रूप मे
  •  प्रबंध पेशे के रूप में

प्रबंध कला के रूप में – 

कला इच्छित परिणामों को प्राप्त करने के लिए वर्तमान ज्ञान का व्यक्तिगत एवं दक्षता पूर्वक उपयोग है | इसे अध्ययन, अवलोकन एवं अनुभव से प्राप्त किया जा सकता है । कला के लक्षण इस प्रकार है-

  1. सैद्धांतिक ज्ञान का होना
  2. व्यक्तिगत योग्यतानुसार उपयोग
  3. व्यवहार एवं रचनात्मकता पर आधारित ।

FAQ’s

1. prabandh kya hai.

प्रबंध वह प्रमुख शक्ति है जो उत्पादन हेतु आवश्यक सभी साधनों यथा मानव, मशीन, मुद्रा, माल, मैथड ( पांच एम्स) में उचित एवं आवश्यक समन्वय स्थापित कर उसका एकीकरण करता है।

2. प्रबंधन का जनक कौन है?

फ्रेडरिक विंस्लो टेलर (Frederick Winslow Taylor) (२० मार्च १८५६ - २१ मार्च १९१५) को वैज्ञानिक प्रबन्धन का जनक माना जाता है।

निष्कर्ष –

आशा करता हूं कि यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और अब आप जान गए होंगे कि प्रबंध क्या हैं और प्रबंध की प्रकृति एवं महत्व क्या हैं। अगर आपको इस पोस्ट से रिलेटेड कोई समस्या हो या कोई शब्द समझ में नहीं आया हो तो हमे कमेंट करके जरूर बताएं हम आपकी मदद जरूर करेंगे। एसी ही एजुकेशन से भरी जानकारी जानने के लिए हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें। धन्यवाद

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