भारतीय जनसंख्या की विशेषताएं

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प्रिय पाठकों नमस्कार ! आज के इस लेख में हम जानेंगे की भारतीय जनसंख्या की विशेषताएं क्या क्या हैं । भारत की जनसंख्या भौगोलिक अध्ययन का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसके बारे में हम आज जानेंगे । हम जानते हैं कि, राष्ट्रीय विकास में जनसंख्या का अपना ही महत्व है। तो चलिए अब यह पोस्ट शुरू करते हैं और विस्तार से समझते हैं कि भारतीय जनसंख्या की सामान्य विशेषताएं क्या क्या है। Bhartiya jansankhya ki visheshtaen

भारतीय जनसंख्या की विशेषताएं

Bhartiya jansankhya ki visheshtaen – भारतीय जनसंख्या की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है –

  • जनसंख्या का असमान वितरण
  • लिंग अनुपात में अन्तर
  • विशाल जनसंख्या
  • ग्रामीण जनसंख्या की अधिकता
  • आयु संरचना
  • विभिन्न प्रजातियों का मिश्रण
  • कार्यशील जनसंख्या की कमी
  • जाति वर्गीकरण
  • विभिन्न धर्म एवं भाषा-भाषी लोगों का देश

1. जनसंख्या का असमान वितरण- भारतवर्ष में जनसंख्या का वितरण बहुत असमान है। उपजाऊ मैदानी भाग, नदी घाटी एवं औद्योगिक प्रदेश अधिक पने बसे हैं जबकि सघन वन, मरुस्थलीय प्रदेश एवं पहाड़ी स्थान विरल बसे हुए हैं। 2001 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या घनत्व 324 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है, किन्तु में यही घनत्व पं० बंगाल में 904 व्यक्ति, दिल्ली में 9294 व्यक्ति, उत्तर प्रदेश में 689 व्यक्ति, पंजाब में 482 व्यक्ति, गुजरात में 258 व्यक्ति, हिमाचल प्रदेश में 109 व्यक्ति, जम्मू-कश्मीर में 99 व्यक्ति और अरुणाचल में 13 व्यक्ति ही है ।

2. लिंग अनुपात में अन्तर- सन् 2001 की जनगणना के अनुसार प्रति हज़ार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या 933 है। लेकिन कहीं-कहीं पर लिंगानुपात अलग प्रकार का पाया जाता है जैसे केरल में 1058, पांडीचेरी में 1001, जबकि चण्डीगढ़ में 773 है।

3. विशाल जनसंख्या- भारत का क्षेत्रफल कुल विश्व का 2.42 प्रतिशत है किन्तु यहां जनसंख्या कुल विश्व की 16 प्रतिशत मिलती है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व का सातवां बड़ा देश है किन्तु जनसंख्या की दृष्टि से चीन के बाद विश्व का दूसरा बड़ा देश है।

4. ग्रामीण जनसंख्या की अधिकता- भारत की अधिकांश जनसंख्या गांवों में निवास करती है। भारत में आज भी 2001 की जनगणना के अनुसार 72.88 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में निवास करती है। इसीलिए भारत को गांवों का देश कहा जाता है। हमारे यहां केवल 27.12 प्रतिशत जनसंख्या शहरों में रहती है।

5. आयु संरचना – भारत में 0-15 वर्ष के लोगों की संख्या 39.6 प्रतिशत तथा 60 वर्ष से अधिक लोगों की संख्या 6.4 प्रतिशत जबकी कार्यशील जनसंख्या (15 से 60 वर्ष तक) के लोगों की संख्या 54.4 प्रतिशत है।

6. विभिन्न प्रजातियों का मिश्रण – प्राचीन काल से अन्य देशों से विभिन्न जाति समूह भारत में आकर बस गये, जैसे- नेग्रिटो, मंगोल, नार्डिक, आस्ट्रेलियाई तथा भूमध्य सागरीय आदि। भारत में इन प्रजातियों के आ जाने से यहां के मूल निवासी अपनी सभ्यता एवं संस्कृति को बचाये रखने के लिए दुर्गम पहाड़ी स्थानों व जंगलों में जाकर रहने लगे। आज ये लोग जनजाति कहलाते हैं। समय के साथ ये सभी प्रजातियां परस्पर घुल-मिल गर्यो। आज की भारतीय जनसंख्या विभिन्न प्रजाति के लोगों का मिलाजुला रूप है।

7. कार्यशील जनसंख्या की कमी- 2001 को जनगणना के अनुसार 15 से 60 वर्ष की आयु के लोग 54.4 प्रतिशत हैं। जबकि 0-15 वर्ष की जनसंख्या 396 प्रतिशत एवं 64 प्रतिशत जनसंख्या वृद्ध लोगों की है। विभिन्न राज्यों में भी कार्यशील जनसंख्या के प्रतिशत में भी काफी भिन्नता है। किसी भी देश का आर्थिक विकास और उसको सुख समृद्धि बहुत कुछ वहां की जनसंख्या के आकार एवं योग्यता सम्बन्धी बातों पर निर्भर करती है।

 8. विभिन्न धर्म एवं भाषा-भाषी लोग – भारत में सन् 1991 की जनगणना के अनुसार भारत वर्ष की जनसंख्या में हिन्दू (82.47), मुसलमान (11.672), ईसाई (2.32) सिख (1.99%), बौद्ध (0.77), जैन (0.4%) और अन्य (0.43%) हैं। इसके अतिरिक्त भारत में 845 भाषायें बोली जाती हैं। देश में 91% जनसंख्या संविधान द्वारा मान्य 15 भाषायें बोलती है।

9. जाति का वर्गीकरण – भारतीय वर्ण व्यवस्था का वर्गीकरण दृढ़ एवं कठोर है तथा उसने भारतीय समाज को टुकड़ों में बांट दिया। मुख्य वर्ण व्यवस्था में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र है। अब तो विभिन्न उपजातियां ही आपस में द्वेषभाव रखती हैं।

भारत की जनसंख्या

किसी देश के संसाधनों के बहुरूपी मितव्ययतापूर्ण उपयोग एवं समुचित राष्ट्रीय विकास में जनसंख्या का अपना ही महत्त्व है। प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग और देश की प्रौद्योगिकी एवं व्यापारिक उन्नति यहां पाये जाने वाली जनसंख्या के वितरण, उसके घनत्व, कुशलता एवं क्षमता एवं लोगों के स्वभाव पर निर्भर करती है। मनुष्य हो प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हुए देश के आर्थिक विकास में सहयोग करता है।

भारत का क्षेत्रफल विश्व का 2% है। किन्तु यहां विश्व की 16% जनसंख्या निवास करती है। चीन के बाद भारत अधिकतम जनसंख्या वाला देश है। वास्तव में चीन एवं भारत की जनसंख्या वहां के भू-क्षेत्रीय संसाधनों की तुलना में विस्फोटक हो गयी है। भारत जैसे विकासोन्मुख देश के लिए बढ़ती हुई आबादी की समस्या बेरोजगारी, भुखमरी, निम्न जीवन स्तर जैसी की जननी है।

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भारत में जनाधिक्य के कारण मात्रात्मक जनसंख्या के भरण-पोषण में देश की सम्पूर्ण क्षमतायें व्यय हो जाती हैं। गुणात्मक मानव शक्ति के विकास के अवसर प्राप्त करने के स्रोत शुष्क प्रायः हो जाते हैं। अतएव एक ओर जबकि रूस एवं फ्रान्स जैसे देश जनसंख्या में विस्तारवादी नीति अपना रहे हैं, तब भारत व चीन जैसे सघन देश जनसंख्या की निषेधात्मक तथा प्रतिबन्धात्मक नीति अपना रहे हैं।ठोस कदम उठाये बिना जनसंख्या की नीति विकट होती जायेगी।

NOTE – यहां पर दिए गए जनसंख्या के आंकड़े 1991 की जनगणना के अनुसार दिए गए हैं।

FAQ’s

1. 2023 में भारत की कुल जनसंख्या कितनी है?

संयुक्त राष्ट्र की विश्व जनसंख्या रिपोर्ट के अनुसार, एक जुलाई, 2023 को भारत की आबादी 1.429 अरब हो जायेगी, जो चीन से लगभग 30 लाख, (2.9 मिलियन) अधिक होगी ।

2. भारतीय जनसंख्या की मुख्य विशेषताएं क्या है?

भारतीय जनसंख्या की प्रमुख विशेषताओं के बारे में इस पोस्ट में बताया गया है ।

निष्कर्ष –

आशा करता हूं कि यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और अब आप जान गए होंगे कि भारतीय जनसंख्या की सामान्य विशेषताएं क्या क्या है। Bhartiya jansankhya ki visheshtaen अगर आपको इस पोस्ट से रिलेटेड कोई समस्या हो या कोई शब्द समझ में नहीं आया हो तो हमे कमेंट करके जरूर बताएं हम आपकी मदद जरूर करेंगे। एसी ही एजुकेशन से भरी जानकारी जानने के लिए हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें। धन्यवाद

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