niyojan kya hai – नियोजन की परिभाषा, विशेषता एवं महत्व

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प्रिय पाठकों नमस्कार ! आज के इस लेख में हम जानेंगे की नियोजन क्या हैं और नियोजन की विशेषता एवं नियोजन का क्या महत्व होता हैं। नियोजन व्यवसाय अध्ययन का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसके बारे में हम आज जानेंगे । हम जानते हैं कि, नियोजन से आशय “नियोजन भविष्य में देखने की एक विधि या तकनीक है। तो चलिए अब यह पोस्ट शुरू करते हैं और विस्तार से समझते हैं कि नियोजन क्या है niyojan kya hai और इसका अर्थ एवं विशेषता तथा महत्व क्या क्या होते हैं । तथा व्यावसायिक संगठनों में नियोजन का क्या महत्व है।

नियोजन क्या है ?

niyojan kya hai  – नियोजन से आशय उद्देश्यों का निर्धारण तथा इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए आगामी कार्यो की रूपरेखा बनाने से है, अतः क्या करना है, कब करना है, तथा कैसे करना है, इन बातों का पूर्व निर्धारण ही नियोजन कहलाता है ।

नियोजन से आशय –

नियोजन प्रबंध का ऐसा कार्य है जिसमें लक्ष्यों का निर्धारण करना तथा उन्हें प्राप्त करने हेतु की जाने वाली विभिन्न क्रियाओं को शामिल किया जाता है। इसके अंतर्गत यह निश्चित किया जाता है कि क्या करना है? कब करना है? कब किया जाना है? तथा किसके द्वारा किया जाना है? इन सभी प्रश्नों के बारे में निर्णय लेना ही नियोजन कहलाता है। नियोजन को हम अंग्रेजी में Planning कहते हैं।

नियोजन की परिभाषा 

सी. एल. जार्ज के अनुसार –

“नियोजन वर्तमान में भविष्य को प्रभावित करने वाले निर्णयों को लेने का एक विवेक पूर्ण आर्थिक एवं सुव्यवस्थित माध्यम है । “

बिली ई. गौज के अनुसार –

“नियोजन मूल रूप से दो वस्तुओ के मध्य चुनाव करना है और नियोजन की समस्या उस समय पैदा होती है, जब किसी वैकल्पिक कार्य की जानकारी प्राप्त हुई हो।”

नियोजन की विशेषताएँ या लक्षण –

  • उद्देश्यों पर आधारित
  • पूर्वानुमानों पर आधारित
  • सर्वोत्तम विकल्प का चयन
  • सर्वव्यापकता
  • लोचपूर्ण
  •  सतत प्रक्रिया

1. उद्देश्यों पर आधारित नियोजन – उद्देश्यों पर आधारित नियोजन के लिए उद्देश्यों का निर्धारण अति आवश्यक है। प्रत्येक नियोजक लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को ध्यान में रखकर भावी योजनाएँ बनाता है ।

2. पूर्वानुमानों पर आधारित – पूर्वानुमानों पर आधारित नियोजन के अन्तर्गत प्रबन्ध भविष्य में झाँकने का प्रयास करता है। जिससे उसे भावी कठिनाइयों एवं अनिश्चितताओं का पूर्वनुमान लगाने में सहयोग मिलता है ।

3. सर्वोत्तम विकल्प का चयन- नियोजन के अन्तर्गत पहले सर्वोत्तम विकल्प का चयन किया जाता है। फिर उसी के अनुरूप नीतियाँ तथा कार्य विधियाँ तय की जाती हैं।

4. सर्वव्यापकता – नियोजन में सर्वव्यापकता का गुण होता है। यह प्रबन्ध के सभी स्तरों पर पाया जाता है। सर्वोच्च प्रबन्ध नियोजन करते समय सम्पूर्ण उपक्रम को ध्यान में रखता है ।

5. लोचपूर्ण – नियोजन लोच पूर्ण होना चाहिए, ताकि उसमें परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तन किया जा सके।

6. सतत प्रक्रिया – नियोजन प्रबन्ध का एक सतत् कार्य है । नियोजन की प्रक्रिया कभी समाप्त नहीं होती है, बल्कि इसकी निरंतर पुनरावृत्ति होती रहती है। परिस्थितियाँ बदल जाने पर इसमें भी परिवर्तन होता रहता है।

नियोजन का महत्व

  • साधनों का सदुपयोग
  • लागत में कमी
  • प्रबंधकीय कार्यो का अधार
  • राष्ट्रीय समृद्धि का अधार
  •  मितव्ययिता उत्पन्न करना

1. साधनों का सदुपयोग :- नियोजन के कारण उपक्रम के साधनों का सदुपयोग होता है। योजना का निर्माण करते समय उपक्रम में उपलब्ध भौतिक, मानवीय तथा वित्तीय साधनों को ध्यान में रखा जाता है। इन साधनों का सर्वोत्तम उपयोग कर वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करना आसान रहता है।

2. लागत में कमी:- नियोजन के कारण उच्च प्रबन्धकों को संस्था की जानकारी हो जाती है। उन सभी साधनों का सदुपयोग किया जाता है तथा अपव्ययों पर रोक लगती है। इस प्रकार उत्पादन लागत तथा संस्था की संचालन लागत में कमी आती है ।

3. प्रबन्धकीय कार्यों का अधार :- नियोजन प्रबन्ध के अन्य कार्यो का आधार माना जाता है। जैसे- संगठन को गति देने तथा नियन्त्रण का आधार नियोजन ही है । उपक्रम के अन्य कार्यो को करने से पहले उनकी योजना बनायी जाती है।

4. राष्ट्रीय समृद्धि का अधार:- नियोजन किसी भी राष्ट्र की आर्थिक प्रगति और उसकी समृद्धि के मार्ग को प्रशस्त बनाता है । यह देश के अल्पतम साधनों का अधिकतम उपयोग संभव बनाता है। भारत के आर्थिक विकास हेतु आर्थिक नियोजन की युक्ति अपनायी गई।

5. मितव्ययिता उत्पन्न करना:- नियोजन के द्वारा प्रबन्ध तथा संचालन क्रियाओं में आर्थिक मितव्ययिता उत्पन्न की जा सकती है। नियोजन से प्रबन्ध कार्यो में स्पष्टता आती है, जिससे विभिन्न प्रकार की मितव्ययिता उत्पन्न होती हैं ।

FAQ’s

1. Niyojan kya hai

नियोजन से आशय उद्देश्यों का निर्धारण तथा इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए आगामी कार्यो की रूपरेखा बनाने से है, अतः क्या करना है, कब करना है, तथा कैसे करना है, इन बातों का पूर्व निर्धारण ही नियोजन कहलाता है ।

2. नियोजन क्या अर्थ है?

वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखकर किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भविष्य की रुपरेखा तैयार करने के लिए आवश्यक क्रियाकलापों के बारे में चिन्तन करना आयोजन या नियोजन (Planning) कहलाता है।

निष्कर्ष –

आशा करता हूं कि यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और अब आप जान गए होंगे कि नियोजन क्या हैं niyojan kya hai और नियोजन की विशेषता एवं महत्व क्या हैं। अगर आपको इस पोस्ट से रिलेटेड कोई समस्या हो या कोई शब्द समझ में नहीं आया हो तो हमे कमेंट करके जरूर बताएं हम आपकी मदद जरूर करेंगे। एसी ही एजुकेशन से भरी जानकारी जानने के लिए हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें। धन्यवाद

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