प्रिय पाठकों नमस्कार ! आज के इस लेख में हम जानेंगे की भू संरक्षण किसे कहते हैं और भू सरंक्षण के उपाय एवं भू संरक्षण का क्या महत्व होता हैं। भू संरक्षण भौगोलिक अध्ययन का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसके बारे में हम आज जानेंगे । हम जानते हैं कि, भू संरक्षण या भूमि सरंक्षण से आशय भूमि की उत्पादकता को बनाए रखने से है। तो चलिए अब यह पोस्ट शुरू करते हैं और विस्तार से समझते हैं कि भू संरक्षण क्या है और इसका अर्थ एवं भूमि सरंक्षण के उपाय क्या क्या होते हैं । तथा भौगोलिक क्षेत्र में भूमि सरंक्षण का क्या महत्व है। bhu sarakshan ke upay
भू संरक्षण किसे कहते हैं?
bhu sarakshan ke upay – भूसंरक्षण का अर्थ है उन सभी उपायों को अपनाना तथा कार्यान्वित करना जो भूमि की उर्वरा शक्ति एवं उत्पादकता को बढ़ा दे तथा इसे बनाए रखे, मृदा की क्षति को या अपरदन ह्रास से सुरक्षित रखे, अपरदित मृदा की उर्वरा शक्ति को पुनर्निर्मित और पुनरुद्धार कर दे, फसलों के उपयोग के लिए मृदा नमी को सुरक्षित कर दे, इस प्रकार इस पूरी मुनाफा युक्त जमीन-प्रबंध कार्यक्रम को भू-संरक्षण कह सकते हैं।
मिट्टी को अपने स्थान पर बनाए रखकर उसकी उर्वरा शक्ति को बनाए रखना मिट्टी का संरक्षण है। हमारे यहां भूमि की उत्पादकता को बनाये रखने के लिए मिट्टी का संरक्षण न केवल महत्त्वपूर्ण है अपितु अनिवार्य भी है।
भू संरक्षण के उपाय
- पशुचारण नियन्त्रण
- वृक्षारोपण
- बांध बनाना
- सोढ़ीनुमा कृषि
- वनों की रक्षा
- वैज्ञानिक कृषि
- ढालों को समानान्तर जुताई
- नदियों में जल की मात्रा को सीमित करना।
1. पशुचारण नियन्त्रण- पर्वतीय वालों में अनियंत्रित पशु चारण पर रोक लगानी चाहिए।
2. वृक्षारोपण – यह मिट्टी कटाव को रोकने का कारगार उपाय है। वृक्षारोपण से बहते हुए जल को गति शिथिल होती है तथा मिट्टी के कटाव में बाधा आती है।
3. बांध बनाना- पहाड़ी नालों तथा नदियों पर बांध बनाने में पानी का तीव्र प्रवाह रुक जाता है। इससे मिट्टी के कटाव को रोकने सहायता मिलती है।
4. सीढ़ीनुमा कृषि – पहाड़ी ढालों पर कृषि करने के लिए सीढ़ियां बनाने तथा मेड़बन्दी का सुझाव दिया गया है ताकि वर्षा का जल रुक-रुक कर बहे ।
5. वनों की रक्षा- मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए वनों की कटाई को नियन्त्रित किया जाना चाहिए। इससे मिट्टी कटाव का स्वतः नियन्त्रण हो जाएगा।
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6. वैज्ञानिक कृषि – भूमि का प्रयोग इसकी उपयोगिता के अनुसार करना चाहिए। कुछ समय के लिए ज़मीन को परती छोड़ देना चाहिये।
7. ढालों की समानान्तर जुताई- मैदानी भागों में खेती की जुताई ढालों के समानान्तर करनी चाहिए। इससे कटाव कम होता है।
8. नदियों में जल की मात्रा को सीमित करना- बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में नदियों पर बांध व जलाश्य बनाये जायें हैं, जिनमें आवश्यकता पड़ने पर संचित जल का उपयोग किया जा सके।
FAQ’s
1. भूमि क्षरण से बचाव के क्या तरीके हैं?
भूमि क्षरण से बचने के अनेक उपाय है जिसकी जानकरी आपको इस पोस्ट में बताई गयी है ।
2. भू संरक्षण किसे कहते हैं?
भूसंरक्षण का अर्थ है उन सभी उपायों को अपनाना तथा कार्यान्वित करना जो भूमि की उर्वरा शक्ति एवं उत्पादकता को बढ़ा दे तथा इसे बनाए रखे
निष्कर्ष –
आशा करता हूं कि यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और अब आप जान गए होंगे कि भू संरक्षण या भूमि सरंक्षण क्या हैं और भू संरक्षण के उपाय क्या क्या हैं। bhu sarakshan ke upay अगर आपको इस पोस्ट से रिलेटेड कोई समस्या हो या कोई शब्द समझ में नहीं आया हो तो हमे कमेंट करके जरूर बताएं हम आपकी मदद जरूर करेंगे। एसी ही एजुकेशन से भरी जानकारी जानने के लिए हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें। धन्यवाद