अविकारी शब्द – प्रिय मित्रों नमस्कार ! इस ब्लॉग्स्पॉट में आपका स्वागत है, आज की इस पोस्ट में हम हिंदी व्याकरण में स्थित अविकारी शब्दों के बारे में जानेंगे। अगर आप हिंदी व्याकरण का अध्ययन करते है, तो आपने विकारी और अविकारी शब्दों के बारे में जरुर सुना होगा है। अविकारी शब्द वह शब्द होते है, जिनमे शब्द वचन, लिंग, कारक, पुरूष और काल के कारण कोई बदलाव नही होता है। तो चलिए यह पोस्ट शुरू करते है और अविकारी शब्दों के बारे में विस्तार से जानते है Avikari shabd kise kahte hai
अविकारी शब्द किसे कहते हैं?
Avikari shabd kise kahte hai – ऐसे शब्द जो लिंग, वचन, कारक, पुरुष और काल के कारण नहीं बदलते, वे अव्यय या अविकारी शब्द कहलाते हैं। इन शब्दों का अर्थ वाक्य में हमेशा स्वतन्त्र रहता है और ये अविकारी शब्दों का उपयोग वाक्य में क्रिया, संज्ञा, सर्वनाम आदि के साथ मिलाकर प्रयुक्त किया जाता हैं।
हिंदी भाषा में अविकारी शब्द वे शब्द होते हैं जो वाक्य में किसी भी विभक्ति, कारक, वचन, लिंग या क्रिया या काल के आ जाने से उनमे कोई परिवर्तन नहीं होता हैं। ये शब्द हिंदी भाषा के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि इनमें कोई विभक्ति या पुरुष-वचन या कारक अथवा काल परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती है। अविकारी शब्दों के चार भेद होते है।
अविकारी शब्द की परिभाषा
Avikari shabd kise kahte hai – अविकारी शब्द वे शब्द होते हैं जिनका उपयोग वाक्य में बिना परिबर्तन के किया जा सकता है। अविकारी शब्द हिंदी भाषा में बिना किसी विभक्ति, कारक, वचन, लिंग, क्रिया या काल के परिवर्तन के बिना वाक्य में बने रहते हैं। अविकारी शब्दों का रूप वाक्य में कहीं भी परिवर्तित नहीं होता और ये अपने मूल रूप में ही यथावत बने रहते हैं। अविकारी शब्दों का प्रयोग हिन्दी व्याकरण में अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है। इनका प्रयोग हम वाक्यों को अधिक स्पष्ट और प्रभावशाली बनाने के लिए करते है।
अविकारी शब्द के प्रकार
अविकारी शब्द चार प्रकार के होते है। अविकारी शब्दों के चार भेद होते हैं, जिनका उपयोग भाषा में बिना किसी विभक्ति, कारक, वचन, लिंग, क्रिया या काल के परिवर्तन के बिना किया जाता हैं। अविकारी शब्दों के चार प्रकार निम्न हैं –
- क्रिया-विशेषण
- सम्बन्ध बोधक
- समुच्चय बोधक या योजक
- विस्मयादि बोधक
- संबंधबोधक अव्यय (अविकारी शब्द) – जो शब्द दो या दो से अधिक शब्दों या वाक्यों के बीच सम्बन्ध स्थापित करते हैं, या जो शब्दों को जोड़कर उनका संबंध दिखाते हैं, उन्हें संबंधबोधक अव्यय कहते हैं। जैसे – और, परंतु, किन्तु, या, तथा, इसलिए, क्योंकि, आदि। उदाहरण के लिए “मैं और मेरी पत्नी कल बाजार जाएँगे।”
- विस्मयादिबोधक अव्यय (अविकारी शब्द) – जो शब्द वाक्य में आश्चर्य, हर्ष, शोक, आदि भावों को व्यक्त करते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं। जैसे – अरे, वाह, हाय, आदि। उदाहरण के लिए “अरे, क्या हुआ?”
- क्रिया-विशेषण अव्यय (अविकारी शब्द) – वे शब्द जो वाक्य में क्रिया की विशेषता को प्रकट करते या विशेषता को बताते हैं। उन्हें क्रिया-विशेषण कहते हैं। जैसे – जब ,जहां, जैसे, जितना, आज, कल, अब आदि।
- समुच्चय बोधक या योजक अव्यय (अविकारी शब्द) – समुच्चय बोधक या योजक अव्यय, जिसे अविकारी शब्द की श्रेणी में रखा जाता है। जो दो शब्दों या वाक्यों को आपस में जोड़ता है। इसका उपयोग वाक्य में समाहार, तुलना, और संबंध बताने के लिए होता है। इन शब्दों को भाषा में योजक भी कहा जाता है।
FAQ’s
1. अविकारी शब्द किसे कहते है?
ऐसे शब्द जो लिंग, वचन, कारक, पुरुष और काल के कारण नहीं बदलते, वे अव्यय या अविकारी शब्द कहलाते हैं।
2. अविकारी शब्द के कितने भेद है?
अविकारी शब्द के चार प्रकार होते है- क्रिया विशेषण, सम्बन्ध बोधक, समुच्चय बोधक, विस्मयादि बोधक ।
3. संबंधबोधक अविकारी शब्द किसे कहते है?
जो शब्द दो या दो से अधिक शब्दों या वाक्यों के बीच सम्बन्ध स्थापित करते हैं, उन्हें संबंधबोधक अव्यय कहते हैं।
आज आपने सीखा
अविकारी शब्द वे शब्द होते हैं जो भाषा में बिना किसी विभक्ति, कारक, वचन, लिंग, या क्रिया के परिवर्तन के बिना रहते हैं। इन शब्दों का रूप वाक्य में कहीं भी परिवर्तित नहीं होता और ये अपने मूल रूप में ही बने रहते हैं। आशा करता हूँ, की यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और अब आप जान गए होगे की अविकारी शब्द किसे कहते हैं। और अविकारी शब्द कितने प्रकार के होते है। Avikari shabd kise kahte hai अगर आपको इस पोस्ट से रिलेटेड कोई समस्या है तो हमें जरुर बताएं हम आपकी मदद जरुर करेंगे ।