ardhchalak kya hai – वे पदार्थ जो ना ही तो अच्छे चालक होते हैं और ना ही अच्छे कुचालक, मतलब जिनका प्रतिरोध चालक से ज्यादा होता है और कुचालक से कम होता है ऐसे पदार्थों को अर्धचालक कहा जाता है अर्थात अर्धचालक की विद्युत चालकता चालक और कुचालक के मध्यवर्ती होती है। कुछ धातु जिनका प्रतिरोध बहुत उच्च होता है जैसे कि कार्बन सिलिकॉन और जर्मेनियम इनमें कुछ दूसरे पदार्थों की मात्रा मिला दी जाती है जिससे कि यह अर्धचालक (Semiconductor) के रूप में काम करने लगते हैं और इनका उपयोग अर्धचालक के रूप में आसानी से किया जा सकता है ।
अर्धचालक क्या है?
ardhchalak kya hai – वे पदार्थ जिनमें सामान्य अवस्था में विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती, लेकिन उनका ताप बढ़ाने पर उनमें विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है, ऐसे पदार्थ अर्धचालक पदार्थ कहलाते हैं। अर्धचालक की विद्युत चालकता चालक और कुचालक के मध्यवर्ती होती है। अर्धचालक का उपयोग डायोड, ट्राजिस्टर और एकीकृत सर्किट (IC), LED आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में होता है।
अर्धचालक के प्रकार
सामान्यतः अर्धचालक चार प्रकार के होते हैं जो निम्न है –
- तात्विक अर्धचालक ( Elemental Semicondutor)
- यौगिक अर्धचालक (compound Semicondutor )
- निज अर्धचालक (Intrinsic Semiconductor)
- बाह्य अर्धचालक (Extrinsic Semiconductor)
तात्विक अर्धचालक ( Elemental Semicondutor) –
तात्विक अर्धचालक वे होते हैं जो एक ही प्रकार के परमाणुओं से बने होते हैं, जैसे सिलिकॉन (Si), जर्मेनियम (Ge), टिन (Sn) सेलेनियम (Se) टेल्यूरियम (Te) आदि ।
यौगिक अर्धचालक (compound Semicondutor )
यौगिक अर्धचालक वे होते हैं जो जो दो या दो से अधिक तत्वों से बने होते है।
- a. अकार्बनिक – Cds GaAs Cdse
- b. कार्बनिक – एन्थ्रासीन
- c. कार्बनिक बहुलक – पॉलीपाइरोल पॉलीएनिलीन
निज अर्धचालक (Intrinsic Semiconductor)
एसे अर्धचालक जिसमें कोई भी अशुद्धियां या अपद्रव्य ना मिला हो उसे निज अर्धचालक कहते हैं। इस प्रकार शुद्ध जर्मेनियम तथा सिलिकॉन अपनी प्राकृतिक अवस्था में निज अर्धचालक है। इस प्रकार निज अर्धचालक के सबसे अच्छा उदाहरण जर्मेनियम तथा सिलिकॉन है ।
बाह्य अर्धचालक (Extrinsic Semiconductor)
निज अर्धचालकों की वैद्युत चालकता बहुत कम होती है परंतु यदि किसी ऐसे पदार्थ को बहुत थोड़ी सी मात्रा, जिसकी संयोजकता 5 अथवा 3 हो, शुद्ध जर्मेनियम अथवा सिलिकॉन क्रिस्टल में अशुद्धि के रूप में मिश्रित करते है तो क्रिस्टल की चालकता काफी बढ़ जाती है। शुद्ध अर्धचालक में अशुद्धता परमाणुओं को मिश्रित करने की प्रक्रिया को डोपिंग (Doping) कहते हैं। ऐसे अशुद्ध अर्धचालक को बाह्य अर्धचालक कहते हैं।
बाह्य अर्धचालक दो प्रकार के होते हैं-
- n-टाइप अर्धचालक (n type Semiconductor)
- P-टाइप अर्धचालक (p-type Semiconductor)
n-टाइप अर्धचालक (n type Semiconductor)
n टाइप का अर्धचालक एक बाहरी अर्धचालक होता है। जब किसी जर्मनियम अथवा सिलिकॉन क्रिस्टल में पंचसयोजी अशुद्धी (N, P, AS, Sb, Bi) मिलाते हैं तो वह जर्मेनियम अथवा सिलिकॉन के एक परमाणु को हटाकर उसका स्थान ले लेता है।
अपद्रव्य परमाणु के पाच संयोजक इलेक्ट्रानों में से 4 इलेक्ट्रान अपने चारों ओर स्थित जर्मेनियम के चार परमाणुओं के एक-एक संयोजक इलेक्ट्रॉन के साथ सहसंयोजक बंध बना लेते हैं। 5वा संयोजक इलेक्ट्रॉन अपद्रव्य के परमाणु से अलग हो जाता है तथा क्रिस्टल के भीतर मुक्त रूप से चलने लगता है।
यही इलेक्ट्रान और आदेश वाहक का कार्य करता है । इस प्रकार के अशुद्ध जर्मेनियम क्रिस्टल को n-टाइप अर्धचालक कहते हैं क्योंकि इसमें आवेश वाहक (मुक्त इलेक्ट्रॉन) ऋणात्मक होते हैं।
अपद्रव्य परमाणुओं को दाता परमाणु कहते है क्योंकि ये क्रिस्टल को चालक इलेक्ट्रॉन प्रदान करते हैं। इस प्रकार शुद्ध जर्मेनियम अथवा सिलिकॉन में अपद्रव्य मिलाने से मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ जाती है अर्थात क्रिस्टल की चालकता भी बढ़ जाती है।
D-टाइप अर्धचालक (p-type Semiconductor)
p-टाइप अर्धचालक भी एक बाहरी सेमीकंडक्टर का प्रकार है । जब किसी जर्मेनियम अथवा सिलिकॉन क्रिस्टल में त्रिसंयोजी अशुद्धि जैसे (B. Al, Ge. In Th) मिलाते है तो जर्मेनियम अथवा सिलिकॉन के बाहरी कक्षा में उपस्थित चार मुक्त इलेक्ट्रॉन में से तीन अशुद्धि वाले तीन संयोजी इलेक्ट्रॉन के साथ बंध बना लेते हैं।
लेकिन एक इलेक्ट्रॉन की कमी रह जाती है और इलेक्ट्रॉन की की कमी को कोटर या विवर या होल कहते है इस प्रकार के अशुद्ध जर्मेनियम अथवा सिलिकॉन क्रिस्टल को p-टाइप अर्धचालक कहते हैं क्योंकि इसमें बहुसंख्यक आवेश वाहक होल होते हैं।
FAQ’s
1. अर्धचालक कितने प्रकार के होते हैं?
अर्धचालक दो प्रकार के होते हैं 1 . शुद्ध अथवा निज अर्धचालक 2. अशुद्ध अथवा बाह् अर्धचालक ।
2. अर्धचालक क्या है?
वे पदार्थ जिनमें सामान्य अवस्था में विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती, लेकिन उनका ताप बढ़ाने पर उनमें विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है, ऐसे पदार्थ अर्धचालक पदार्थ कहलाते हैं।
आज आपने सीखा –
आशा करता हूँ की यह पोस्ट आपको अच्छी लगी होगी और अब आप जान गए होंगे की अर्धचालक क्या है, ardhchalak kya hai, अर्धचालक कितने प्रकार के होते है । अगर आपको इस पोस्ट से रिलेटेड कोई समस्या हो तो हमें कमेंट करके जरुर बताये हम आपके प्रश्नों का उत्तर जरुर देंगे ।