प्रिय पाठकों नमस्कार ! आज के इस लेख में हम जानेंगे कि भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 क्या है, भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 की मुख्य धाराएं क्या थी तथा इस अधिनियम की विशेषताएं क्या थी। भारतीय स्वतंत्र ऐतिहासिक अध्ययन का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसके बारे में हम आज जानेंगे । हम जानते हैं कि, प्रधानमंत्री इटली की संसद ने 4 जुलाई 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित कर दिया था। चलिए अब यह पोस्ट शुरू करते हैं और विस्तार से समझते हैं कि भारतीय स्वतंत्र नियम 1947 क्या है। bhartiya swatantrata adhiniyam 1947 ki dharayen
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947
bhartiya swatantrata adhiniyam 1947 ki dharayen – लार्ड माउण्ट बेटन की रिपोर्ट के आधार पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली की संसद ने 4 जुलाई 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित कर दिया। इस अधिनियम में निम्नलिखित मुख्य धाराएँ थीं।
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 की मुख्य धाराएं
bhartiya swatantrata adhiniyam 1947 ki dharayen – इस अधिनियम में निम्नलिखित मुख्य धाराएँ थीं-
- दो अधिराज्यों की स्थापना
- प्रादेशिक क्षेत्रों का निर्धारण
- दो संविधान सभाएँ
- गवर्नर जनरलों की व्यवस्था
- राष्ट्रमण्डल की सदस्यता
- ब्रिटिश संधियों की समाप्ति
- भारत सचिव पद की समाप्ति
- प्रदेशों की स्वतंत्रता
- 1935 के अधिनियम द्वारा अंतरिम शासन व्यवस्था ।
1. दो अधिराज्यों की स्थापना – 15 अगस्त 1947 को भारत तथा पाकिस्तान दो स्वतंत्र राज्यों की स्थापना हो जायेगी। इन दोनों अधिराज्यों को ब्रिटेन की सरकार सत्ता सौंप देगी। उसके बाद ब्रिटेन का कोई अधिकार इन राज्यों में नहीं रह जायेगा।
2. प्रादेशिक क्षेत्रों का निर्धारण – बंगाल और पंजाब का विभाजन कर दिया गया। पूर्वी बंगाल, सिलहट जिला, पश्चिमी पंजाब, सिन्ध, बलूचिस्तान तथा उत्तर पश्चिमी सीमा प्रान्त आदि मुस्लिम बहुल क्षेत्र पाकिस्तान में तथा शेष क्षेत्र भारत में सम्मिलित किये गये।
3. दो संविधान सभाएँ – दोनों देशों के लिए संविधान सभाओं के निर्माण की बात कही गई। ये संविधान सभाएँ अपने-अपने देश के लिए संविधान का निर्माण करेंगी। प्रत्येक उपनिवेश को संविधान सभा विधायिका का कार्य करेंगी।
4. गवर्नर जनरलों की व्यवस्था – दोनों देशों के लिए एक-एक गवर्नर जनरल होगा, जिसकी नियुक्ति सम्बन्धित राज्य के मंत्रिमंडल द्वारा होगी। ज्ञातव्य है कि स्वतंत्र भारत के चक्रवर्ती राजगोपालाचारी और पाकिस्तान के मुहम्मद अली जिन्ना प्रथम गवर्नर जनरल नियुक्त किये गये।
5. राष्ट्रमण्डल की सदस्यता- दोनों ही देशों को उनकी इच्छा पर छोड़ दिया गया कि वे चाहें तो राष्ट्रमण्डल के सदस्य बने रहे या उससे अपने आपको पृथक कर लें।
6. ब्रिटिश सन्धियों की समाप्ति – इस अधिनियम के द्वारा भारतीय नरेशों के साथ की गई ब्रिटेन के द्वारा सभी सन्धियाँ समाप्त कर दी गईं। तात्पर्य यह कि 15 अगस्त 1947 के बाद ब्रिटेन की सरकार का भारत व पाकिस्तान के में कोई जिम्मेदारी नहीं रहेगी। प्रायः सभी समझौतों व सन्धियों का अन्त हो जायेगा।
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7. भारत सचिव पद की समाप्ति– भारत सचिव के माध्यम से ब्रिटेन की संसद भारत पर राज्य करती थी। भारत सचिव का पद भी समाप्त कर दिया गया जिससे भारत व पाकिस्तान दोनों ही देशों पर भारत सचिव का कोई नियंत्रण नहीं रहा।
8. प्रदेशों की स्वतंत्रता – भारत के सम्पूर्ण प्रदेशों को भी स्वतंत्रता दे दी गई। वे चाहे तो भारत या पाकिस्तान में अथवा अपना स्वतंत्र अस्तित्व रखें। यह भी कहा गया है कि देशी रियासतें चाहे तो अपना विलय ब्रिटेन में कर दें।
9. 1935 के अधिनियम द्वारा अंतरिम शासन व्यवस्था – जब तक नवीन संविधान नहीं बनता तब तक के लिए यह निश्चय किया गया कि 1935 ई. के भारत शासन अधिनियम द्वारा दोनों ही देशों की शासन व्यवस्था चलती रहेगी।
FAQ’s
1. 1947 में कौन सा कानून पारित हुआ?
18 जुलाई 1947 - ब्रिटिश सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित कर दिया।
2. 1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम की मुख्य धाराएं क्या थी ?
1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम की मुख्य धाराओं के बारे में आपको इस पोस्ट में बताया गया है ।
निष्कर्ष –
आशा करता हूं कि यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और अब आप जान गए होंगे कि भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 की मुख्य धाराएं क्या-क्या थी और भारतीय स्वतंत्र अधिनियम 1947 क्या है। bhartiya swatantrata adhiniyam 1947 ki dharayen आपको इस पोस्ट से रिलेटेड कोई समस्या हो या कोई शब्द समझ में नहीं आया हो तो हमे कमेंट करके जरूर बताएं हम आपकी मदद जरूर करेंगे। एसी ही एजुकेशन से भरी जानकारी जानने के लिए हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें। धन्यवाद