प्रिय पाठकों नमस्कार ! आज के इस लेख में हम इलाहाबाद की संधि एवं इलाहाबाद संधि की शर्ते के बारे में जानेंगे। इलाहाबाद की संधि ऐतिहासिक अध्ययन का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसके बारे में हम आज जानेंगे । हम जानते हैं कि, इलाहाबाद की प्रथम सन्धि, राबर्ट क्लाइव तथा मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय के बीच में 12 अगस्त 1765 में हुई थी।तो चलिए अब यह पोस्ट शुरू करते हैं और विस्तार से समझते हैं कि इलाहाबाद संधि की प्रमुख शर्तें क्या क्या है। Allahabad sandhi ki sharte
इलाहाबाद की संधि (1765)
Allahabad sandhi ki sharte – मीरकासिम और ब्रिटिश कम्पनी के बीच युद्ध होने की स्थिति का समाचार जब फरवरी 1764 को इंग्लैण्ड पहुँचा तो क्लाइव को कम्पनी का गवर्नर बनाकर भारत भेजा गया। बक्सर युद्ध (22 अक्टू. 1764) के बाद मई 1765 ई. में क्लाइव कोलकाता पहुँचा। उस समय तक संघर्ष समाप्त हो चुका था। गवर्नर वेंसिटार्ट ने युद्ध के बाद अवध प्रान्त मुगल सम्राट को लौटा देने का मन बना लिया था परन्तु क्लाइव ने उसकी नीतियों में उलट फेर कर दिया। उसने शाहआलम व शुजाउद्दौला से मई 1765 ई. में एक सन्धि कर ली। यह सन्धि इलाहाबाद की सन्धि के नाम से जानी जाती है।
इलाहाबाद संधि की शर्तें
मुख्य रूप से इलाहाबाद की संधि क्लाइव एवं अवध के नवाब शुजाउद्ददौला तथा मुगल सम्राट शाहआलम के साथ हुई थी। इस संधि की शर्ते निम्नलिखित प्रकार से थी –
- शुजाउद्दौला को अवध की नवाबी
- शुजाउद्दौला को सैनिक सहायता
- कम्पनी को कर मुक्त व्यापारिक छूट
- कम्पनी को युद्ध की क्षतिपूर्ति प्राप्त
- शाहआलम को पेंशन
- बंगाल बिहार व उड़ीसा की दीवानी कम्पनी को प्राप्त ।
1. शुजाउद्दौला को अवध की नवाबी- इलाहाबाद की सन्धि के अनुसार अवध की नवाबी फिर से शुजाउद्दौला को सौंप दी गई किन्तु उससे इलाहाबाद और कड़ा ये दो जिले छीनकर मुगल सम्राट शाहआलम को दे दिये गये।
2. शुजाउद्दौला को सैनिक सहायता – यह भी निश्चित किया गया कि अवध के नवाब की सहायता के लिये सैनिक रखे जायेंगे लेकिन उन सैनिकों का पूरा खर्च नवाब को उठाना पड़ेगा।
3. कम्पनी को कर मुक्त व्यापारिक छूट — इस सन्धि के अनुसार कम्पनी को यह छूट दे दी गई कि वह अवध के राज्य में बिना कोई कर दिये व्यापार कर सकती है। कर मुक्त व्यापार की छूट मिलना कम्पनी के लिये सबसे बड़ा लाभ साबित हुआ।
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4. कम्पनी को युद्ध की क्षतिपूर्ति प्राप्त – अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने 50 लाख रुपये कम्पनी को युद्ध (बक्सर युद्ध) की क्षतिपूर्ति के रूप में देना स्वीकार किया। सन्धि की यह शर्त भी कम्पनी के लिये लाभदायक रही।
5.शाहआलम को पेंशन – मुगल सम्राट शाहआलम को 26 लाख रुपये पेंशन देने की बात स्वीकार की गई। शाहआलम को कड़ा और इलाहाबाद के जिले देने की बात पहले ही स्वीकार कर ली गई थी।
6. बंगाल, बिहार व उड़ीसा की दीवानी कम्पनी को प्राप्त- इलाहाबाद-सन्धि की शर्त के अनुसार मुगल सम्राट शाह आलम ने बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी (राजस्व) कम्पनी को दे दी। दीवानी (राजस्व प्राप्ति) के हाथ में आ जाने से कम्पनी को लगभग 30 लाख पौंड वार्षिक राजस्व प्राप्त होने लगा। यहीं बंगाल का दुहरा शासन कहलाया।
FAQ’s
1. इलाहाबाद की संधि की प्रमुख शर्तें क्या थी?
इलाहाबाद की संधि की प्रमुख शर्तों के बारे में आपको इस पोस्ट में बताया गया है ।
2. इलाहाबाद की पहली संधि क्या थी?
राबर्ट क्लाइव तथा मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय के बीच में १२ अगस्त १७६५ में हुई थी। यह संधि बंगाल के इतिहास में एक युगान्तकारी घटना थी क्योंकि कालान्तर में इसने उन प्रशासकीय परिवर्तनों की पृष्ठभूमि तैयार कर दी जिससे ब्रिटिश प्रशासनिक व्यवस्था की आधारशिला रखी गयी।
निष्कर्ष –
आशा करता हूं कि यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और अब आप जान गए होंगे कि इलाहाबाद संधि की प्रमुख शर्तें क्या क्या है। Allahabad sandhi ki sharte अगर आपको इस पोस्ट से रिलेटेड कोई समस्या हो या कोई शब्द समझ में नहीं आया हो तो हमे कमेंट करके जरूर बताएं हम आपकी मदद जरूर करेंगे। एसी ही एजुकेशन से भरी जानकारी जानने के लिए हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें। धन्यवाद